चीड़ के वनों के बीच से निहारते सूरज को देखा मैंने प्रातकाल
श्वेत धुंध सी छाई हुई समाई हुई कोने कोने पे
चमक रही बूंदे दिवाली की झालरों सी
Uday Creation
Saturday, September 25, 2010
Thursday, September 23, 2010
KHANIKAAYEN
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आ तेरा श्रृंगार करूँ मैं
कजरों से और गज़रों से
हार करूँ मनुहार करूँ मैं
बात करें हम नज़रों से
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HINDI POEM ON BHRASHTACHAR
क्यों न गरीबों से मुलाकात अब की जाए
जो हैं मक्कार और गद्दार, खाट उनकी खड़ी की जाए
हालाँकि पहचान में, नहीं आयेंगे जल्दी से
पकड़ के इन सबकी, पोलीग्राफ टेस्ट की जाए
फांसी उनको जिन्होंने भरपेट कमीशन खाया
सर कलम उनके जिन्होंने देश को भी बेच खाया
काम अपना जो करते नहीं ईमानदारी से
फिर तो तनख्वाह उनकी पूरी काट ली जाए.
जो हैं मक्कार और गद्दार, खाट उनकी खड़ी की जाए
हालाँकि पहचान में, नहीं आयेंगे जल्दी से
पकड़ के इन सबकी, पोलीग्राफ टेस्ट की जाए
फांसी उनको जिन्होंने भरपेट कमीशन खाया
सर कलम उनके जिन्होंने देश को भी बेच खाया
काम अपना जो करते नहीं ईमानदारी से
फिर तो तनख्वाह उनकी पूरी काट ली जाए.
Saturday, September 4, 2010
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