Saturday, September 25, 2010

RANIKHET KI SUBAH

चीड़ के वनों के बीच से निहारते सूरज को देखा मैंने प्रातकाल
श्वेत धुंध सी छाई हुई समाई हुई कोने कोने पे
चमक रही बूंदे दिवाली की झालरों सी

No comments:

Post a Comment